Help:Introduction to images with Wiki Markup: Difference between revisions

Content deleted Content added
Tags: Removed redirect Mobile edit Mobile web edit
Added {{R to help namespace}} tag to redirect
 
(4 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1:
#REDIRECT [[Help:Introduction to images with Wiki Markup/1]]
अनिल कुमार पाल जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय समाज पक्ष
{{Redirect category shell|
अनिल कुमार पाल
{{R to help namespace}}
उत्तर प्रदेश जिला मिर्जापुर ग्राम व पोस्ट बरकछा कला के एक साधारण भेड़ बकरी पालने वाले परिवार में उनका जन्म 26 अगस्त 1998 में हुआ।
{{R to subpage}}
}}
पिता - श्री सूर्य लाल पाल (भेड़ बकरी पालन कृषि )
माता - श्रीमती इंद्रावती देवी ( गृहस्थी )
परिवार में चार भाई और दो बहन
भाई - सुरेश पाल मनोज पाल अनिल कुमार पाल सुनील पाल ।
बहन - बिंदु देवी और अंजू देवी ।
शिक्षा-दीक्षा - गांव के स्कूल में ही मंगलम विकास शिशु मंदिर से U.K.G. से 8वी तक शिक्षा ग्रहण करके गांव से शहर मिर्जापुर में बीएलजे इंटर कॉलेज मिर्जापुर 9th से 10th शिक्षा प्राप्त कर
श्री शिव इंटर कॉलेज मिर्जापुर 11th से 12th शिक्षा प्राप्त कर और शिव इंटर कॉलेज से ही N.C.C.,का B सर्टिफिकेट, C सर्टिफिकेट प्राप्त किया"। क्योंकि मुझे फोर्स की नौकरी करनी थी
ग्रेजुएट शिक्षा - जीडी बिनानी पीजी कॉलेज मिर्जापुर से बी०ए० प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष चल रहा है
राजनीतिक - कॉलेज के प्रथम वर्ष में ही छात्र संघ चुनाव 2017-2018 पुस्तकालय मंत्री पद 811 वोट पाकर विजय प्राप्त किया वही मेरे प्रतिबंधित द्वितीय वर्ष का छात्र 413 वोट पाया।
राजनीतिक दल - 22/जून/2018 से राष्ट्रीय समाज पक्ष से जिलाध्यक्ष हैं।
शादी -16 साल की उम्र में विधवा भाभी से शादी हुआ
== अनिल कुमार पाल जीवन परिचय ==
मेरे परिवार में दो भाई सुरेश और मनोज महाराष्ट्र में रहते थे और अचानक परिवारिक कर्ज़ के कारण मनोज भाई ने कर्ज की टेंशन मे अपने आप को दिनांक 20 मार्च 2010 को आत्महत्या कर लिए और मनोज भाई की पत्नी आशा देवी को अपनों से अकेला छोड़ कर चले गए कल तक शौक से रंगी बिरंगी साड़ियां पहनने वाली आशा भाभी अब सफेद लिबास में रहने लगी और आशा भाभी के पेट में 3 माह का बच्चा भी पल रहा था आशा भाभी के मायके वाले अपने घर ले गए और 7 माह के बाद 30/06/2010 को खुशखबरी आई की आशा भाभी को बेटा पैदा हुआ जिसका नाम अनुराज पाल रखा गया अब इधर मेरा पढ़ाई जारी रहा गांव की शिक्षा प्राप्त कर शहर में हाई स्कूल प्रवेश लिया इसी बीच में अल्प आयु में में हमारी शादी विधवा भाभी से हुआ।
अल्प आयु मे विधवा भाभी से शादी करने का कारण........
आशा भाभी अपने बेटे अनुराज को लेकर ससुराल मे सफेद लिबास साड़ियों के साथ विधवा के रूप में रह रही थी की विधवा आशा भाभी परिवार में बोझा बन गई अब मेरे मां बाप इंद्रावती और सूरज लाल पाल घर में परेशान हो गए की ये अपनी बाकी की जीवन की जिंदगी कैसे गुजारे गी।
आशा भाभी के मायके वाले मां बाप ने भी ने परेशान थे और आशा भाभी अब भी घर के सारे कामकाज करती थी आशा भाभी और भतीजे अनुराज की हालत देख कर मैं दुख से उठाता था पर मैं भी औरों की तरह बेबस था।
एक दिन हमारे घर पर कुछ रिश्तेदार आए और बातो बातो में उन्होंने मेरा और आशा भाभी की शादी करने के लिए मेरे मां बाप से बोले और उन्होंने मुझे बुलाकर लंबी बातचीत की शुरुआत में मैं तो सुनते ही भड़क उठा पर उसमें से दो मेरे जीजा बाबू लाल और लालमनी यह दोनों में मुझे दुनियादारी, रिश्तेदारी, और सामाजिक बातें समझाई तथा आशा भाभी और भतीजे अनुराज की भविष्य से ताल्लुक रखते वे बातें बताई तो मैं थोड़ा शांत हुआ एक दिन आशा भाभी के भाभी ने जब इस बात को जब उससे कहा तो वह चौक उठी पर उसने बड़ी बड़ी बात की तो आशा भाभी को अपना और अपने बेटे का भविष्य दिखाने लगे तब शांत हुई।
हम दोनों एक दूसरे को पति पत्नी का ताल्लुक रखने लगे और लिहाजा हिचक टूट गई और हम दोनों एक दूसरे को पति पत्नी के रूप में समझने लगे और कुछ माह बाद हमबिस्तर तालुक किया कुछ दिनों के बाद दिनांक 13 मई 2014 को मां विंध्यवासिनी के चरणों में हम दोनों की पूर्ण रूप से मुहूर्त निकाली गई जगत जननी मां विंध्यवासिनी के चरणों में फिर से मांग भरते हुए और मंगलसूत्र पहनते हुए आशा भाभी को अच्छा भी लग रहा था और अजीब सा लग रहा था और यही हाल मेरा भी था जिसके जेहन से भाई मनोज का चेहरा भी याद आ जाता था और हम दोनों देवर भाभी से पति पत्नी बनते हुए हम दोनों को अपने आप से काफी जूझना पड़ा क्योंकि ऐसा हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन आएगा एक साल बाद परिवार में एक और खुशखबरी आई है दिनांक 7/11/2014 को आशा फिर मां बनी और मैं बाप बना बेटे का नाम अभिराज पड़ा।
हर्ज नहीं है कि ...............
आशा पहाड़ से जिंदगी अकेले नहीं काट पाती ऐसे में वह किसी दूसरे अजनबी से शादी करती तो उसके बेटे अनुराज और उसकी जिंदगी की कोई गारंटी नहीं रहती विधवा भाभी से कोई शादी नहीं करता है कि ज्यादातर उसे भी विधुर ही मिलता उसे अगर बच्चे होते तो दिक्कतें बढ़ भी जाती मैंने हिम्मत और समझदारी दिखाई कि मैं अपने जज्बातों को दूर किया और मैं जिंदगी भर के लिए अपनी विधवा भाभी का सहारा बन गया और भतीजे को बाप दिया।
मै कहता हूं कि..............
भाई की मौत के बाद भविष्य शादी कर लेना कतई हर्ज की बात नहीं है इसकी कई वजह होती है जिनमें से खास बात भाभी को सहारा और नाम देना और बच्चे हो तो उन्हें कोई परेशानी पेश नहीं आती क्योंकि भाई के बच्चे को अपना समझने में कोई अड़ंगा आड़े नहीं आता।
अहम् बाते............
भाभी को जिंदगी की दुश्वारियां से बचा लेना है देवर भाभी जो कि एक दूसरे के स्वभाव पसंद नापसंद सब समझते हैं इसलिए वह भी जल्दी घुलमिल जाते हैं ऐसी शादी में जमीन जायजा के भी झगड़े नहीं होते अनिल जैसे देवरो की कमी नहीं जिन्होंने विधवा भाभी से शादी करके उसे न केवल घुटन से बचाया बल्कि बच्चे को भी नाम दिया और घर परिवार की खुशियां भी संभाल रखीं।
संघर्ष ........
इधर12वी की पढ़ाई हो जाने के बाद ग्रेजुएशन करने के लिए जीडी बिनानी पीजी कॉलेज मिर्जापुर बी०ए० प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया जिसमें छात्रों के हित के और संघर्ष करने के लिए कॉलेज के छात्र छात्राओं का समर्थन मिला प्रथम वर्ष में ही चुनाव लड़कर छात्र संघ पुस्तकालय मंत्री पद पर 811 वोट पाकर विजय प्राप्त किया।
12 फरवरी 2018 को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश सिंह यादव से मुलाकात कर राजनीतिक के रूप में आशीर्वाद किया।
छात्र संघ के कार्यकाल में ही राजनीतिक दल 22 जून 2018 को राष्ट्रीय समाज पार्टी के संस्थापक व महाराष्ट्र कैबिनेट मंत्री माननीय महादेव जानकर जी से मुलाकात कर माननीय महादेव जानकर जी के विचारों से मैं प्रकट हुआ और राष्ट्रीय समाज पक्ष का दामन थाम लिया जिसमें 22 जून 2018 को जिला अध्यक्ष मिर्जापुर से बनाया गया।
छात्र संघ कार्यकाल के कॉलेज में ही 27 सितंबर 2018 को रक्तदान किया